रुद्रनाथ पंच केदार मंदिरों में से एक है,जहाँ भगवान् शिव के मुख की आराधना की जाती है| समुद्र तल से 2290 मीटर (7500 फीट) ऊँचाई पर स्थापित यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में पड़ता है जो अपनी भव्य प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए प्रसिद्ध है|
मंदिर की ओर जाता पैदल मार्ग दूर दूर तक फैले विस्तृत बुग्याल, बुरांश के जंगल, प्राकृतिक जलकुंड, मीठे पानी के तालाबों और झरनों का दृश्य आपकी यात्रा को एक यादगार अनुभव में बदल देता है। यह स्थान गढ़वाल हिमालय के केंद्र में आस्था, अध्यात्म और रोमांच का अद्भुद मिश्रण है| 2 से 3 दिनों की यह यात्रा प्राकृतिक सौन्दर्य और जैव विविधता से आपको मंत्रमुग्ध कर देगी|
रुद्रनाथ मंदिर का इतिहास और किंवदंती
रुद्रनाथ मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व में हुआ था|
महाभारत की कथा के अनुसार, कुरुक्षेत्र के युद्ध समाप्ति के बाद महर्षि व्यास ने पांडव भाइयों को हिमालय जाकर भगवान शिव की आराधना करने को कहा ताकि वो अपने परिजनों को मारने के लिए पश्चाताप कर सकें| उनके तपस्या करने के बाद भी भगवान शिव उन्हें माफ नहीं करना चाहते थे और उन्होंने खुद को एक बैल में बदल दिया और खुद को छिपा दिया| बाद में हिमालय के पांच अलग-अलग स्थानों में भगवन शिव के शरीर हिस्सों के पाए जाने पर ये स्थान पञ्चकेदार (पाँच केदार) कहलाये| बैल का सिर रुद्रनाथ में दिखाई दिया, जबकि बाल कल्पेश्वर में दिखाई दिए, केदारनाथ में कूबड़, मद्महेश्वर में पेट, नाभि और तुंगनाथ में भुजाएं|
रुद्रनाथ के अक्षांश और देशांतर
- 30 ° 32’0 “उत्तर
- 79 ° 20’0 “पूर्व
रुद्रनाथ मंदिर कैसे पहुंचा जाये
पंच केदारों में से, रुद्रनाथ मंदिर को सबसे कठिन माना जाता है|
- रुद्रनाथ मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा- जॉली ग्रांट देहरादून (258 किमी)
- रुद्रनाथ मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन- ऋषिकेश (240 किमी), हरिद्वार (265 किमी)
ऋषिकेश → देवप्रयाग (74 किलोमीटर) → श्रीनगर (35 किलोमीटर) → रुद्रप्रयाग (32 किलोमीटर) → कर्णप्रयाग (33 किलोमीटर) → नंदप्रयाग (20 किलोमीटर) → गोपेश्वर (18 किलोमीटर) → सगर (5 किलोमीटर)
रुद्रनाथ मंदिर के लिए ट्रेकिंग गोपेश्वर और आसपास के गांवों से शुरू होती है|। गोपेश्वर लगभग से 5 किलोमीटर दूर सगर गाँव तक पक्की सड़क है, जहाँ से पैदल मार्ग शुरू होता है| उसके बाद लुइती और पनार बुग्याल के रास्ते मंदिर के लिए 20 किलोमीटर का पैदल है| स्थानीय ग्रामीणों द्वारा मार्ग पर कुछ ठहरने और भोजन की व्यवस्था के लिए दुकानें उपलब्ध हैं|
रुद्रनाथ मंदिर कब जाना चाहिए?
मंदिर के कपाट मई के तीसरे सप्ताह में खुलते हैं और दिवाली से पहले बंद कर दिए जाते| यात्रा के लिए अगस्त से अक्टूबर का समय हिमालय के इस क्षेत्र में बुग्यालों (घास के मैदान) का आनंद लेने और इसी समय खिलने वाले कुछ विशिष्ट फूलों को देखने के लिए शानदार है, बारिश आपकी यात्रा में व्यवधान पैदा कर सकती है|
रुद्रनाथ का वार्षिक मेला श्रावण हिंदू महीने की पूर्णिमा रक्षाबंधन के दिन होता है| मेले में स्थानीय लोगों के साथ-साथ बहुत से पर्यटक भी इसमें शामिल होते हैं|
सर्दियों के दौरान, भगवान शिव की डोली को गोपेश्वर में लाया जाता है और उन्हें गोपीनाथ मंदिर में रखा जाता है|पुन: ग्रीष्मकाल में डोली यात्रा के माध्यम से वापस रुद्रनाथ ले जाया जाता है| गोपेश्वर के तिवारी और भट्ट मंदिर के पुजारी हैं|
रुद्रनाथ मंदिर हर दिन दोपहर 12:00 से 3:00 बजे के बीच बंद रहता है|
आरती का समय सुबह 8:00 बजे और शाम 6:30 बजे है|
रुद्रनाथ मंदिर क्यों जाएँ?
पञ्चकेदार पवित्र यात्रा का क्रम केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मदमहेश्वर और फिर कल्पेश्वर के रूप में जाना जाता है। रुद्रनाथ मंदिर भगवान शिव को अपना अराध्य मनाने वाले तीर्थ यात्रिओं के लिए एक प्रमुख स्थान है , जोकि ना सिर्फ प्राकृतिक सौन्दर्यता से लकदक है बल्कि विश्वास और आध्यामिकता की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है|
रुद्रनाथ यात्रा को पांच केदारों में सबसे कठिन माना जाता है, लेकिन यहाँ पहुंचकर आप हिमालय की चोटियों (हाथी पर्वत, नंदा देवी, त्रिशूल पर्वत और नंदा घुंटी) के जादुई दृश्य देख सकते हैं, जो आपकी थकान को काफूर करने के लिए काफी है |मखमली घास से भरे खुबसूरत बुग्यालों के बीच से निकलते हुए यात्रा मार्ग पर कई प्राकृतिक कुंड भी मौजूद हैं, ये हैं तारा कुंड, नंदी कुंड, चंद्र कुंड और सूर्य कुंड। मंदिर के पास से ही रुद्रगंगा या वैतरणी नदी बहती है। जैव विविधता से भरे इस यात्रा मार्ग पर अलग अलग किस्म के जंगली फूलों,घासों और मध्य हिमालयी वनस्पतियों की भरमार है जो प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र है|
रुद्रनाथ मंदिर के आस पास घूमने फिरने की जगहें
- नंदी कुंड
- कल्पेश्वर
- ऋषि अत्री गुफा
- अनुसुइया मंदिर
Ved left the normal city life after working for more then a decade. Now he lives in a small town in the mountains and calls it home. He enjoys writing and riding his bullet.
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